गीता प्रेस, गोरखपुर को दिया जाएगा गांधी शांति पुरस्कार 2021

गीता प्रेस को मानवता के सामूहिक उत्थान में योगदान देने के लिए गांधी शांति पुरस्कार 2021 दिया जाएगा। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाले निर्णायक मंडल ने गीता प्रेस के महत्वपूर्ण और अद्वितीय योगदान को सच्चे अर्थों में गांधीवादी जीवन शैली का प्रतीक बताया है। निर्णायक मंडल ने शांति और सामाजिक सद्भाव के गांधीवादी आदर्शों को बढ़ावा देने के लिए सौ वर्ष पुरानी संस्था (गीता प्रेस) के योगदान की सराहना की।

गांधी शांति पुरस्कार क्या है?

यह भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला एक वार्षिक पुरस्कार है। गांधी शांति पुरस्कार की स्थापना वर्ष 1995 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के अवसर पर उनके आदर्शों के प्रति श्रद्धांजलि स्वरूप की गई थी। यह पुरस्कार राष्ट्रीयता, नस्ल, भाषा, जाति, पंथ या लिंग के भेदभाव के बगैर सभी व्यक्तियों को प्रदान किया जाता है। गांधी शांति पुरस्कार में एक करोड़ रुपए की राशि, एक प्रशस्ति पत्र, एक पट्टिका और एक उत्कृष्ट पारंपरिक हस्तकला/हथकरघा विशिष्ट कृति प्रदान की जाती है।

पूर्व विजेताओं के नाम

गांधी शांति पुरस्कार के पूर्व विजेताओं में इसरो, रामकृष्ण मिशन, बांग्लादेश के ग्रामीण बैंक, विवेकानंद केंद्र (कन्याकुमारी), अक्षय पात्र (बेंगलुरु), एकल अभियान ट्रस्ट (भारत) और सुलभ इंटरनेशनल (नई दिल्ली) जैसे संगठन शामिल हैं। 

इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाले विशिष्ट व्यक्तियों में दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ. नेल्सन मंडेला, तंजानिया के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. जूलियस न्येरेरे, श्रीलंका के सर्वोदय श्रमदान आंदोलन के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. ए.टी. अरियारत्ने, जर्मनी संघीय गणराज्य के डॉ. गेरहार्ड फिशर, बाबा आमटे, आयरलैंड के डॉ. जॉन ह्यूम, चेकोस्लोवाकिया के पूर्व राष्ट्रपति श्री वाक्लेव हवेल, दक्षिण अफ्रीका के आर्कबिशप डेसमंड टूटू, श्री चंडी प्रसाद भट्ट और जापान के श्री योही ससाकावा शामिल हैं।

2019 में ओमान के सुल्तान कबूस बिन सैद अल सैद और 2020 में बांग्लादेश के बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान को गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

गीता प्रेस के बारे में 

गीता प्रेस की स्थापना वर्ष 1923 में की गई है। यह दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक हैं। अभी तक गीता प्रेस ने 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ पुस्तकों का प्रकाशन किया है, जिनमें 16.21 करोड़ श्रीमद भगवद गीता पुस्तकें शामिल हैं। इस संस्था ने राजस्व सृजन के लिए कभी भी अपने प्रकाशनों के लिए विज्ञापन नहीं लिए। गीता प्रेस अपने संबद्ध संगठनों के साथ जीवन के उत्तरोत्तर विकास और सर्वजन-कल्याण के लिए प्रयासरत है।

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